संदीप तोमर
रुड़की। मुख्यमंत्री की मंगलौर के समीप लिब्बरहेड़ी में आज हुई आभार रैली की बात संख्या के लिहाज से करें तो भयंकर सूखी गर्मी को देखते हुए रैली में तादाद ठीक ठाक ही कही जा सकती है। मुख्यमंत्री आएं,महाराजा सूरजमल के नाम से क्षेत्र में स्टेडियम बनाने समेत कई घोषणाएं की और तमाम पद पोषित भाजपा नेता मंच पर होने के साथ ही अपने-अपने स्तर से भीड़ जुटाकर रैली को सफल बनाने में कोर कसर नहीं छोड़ें हुए थे। मुख्यमंत्री के खास कहे जाने वाले स्वामी यतीश्वरानंद दो दिन से इसी बाबत क्षेत्र में डेरा डाले थे। खुद मुख्यमंत्री का क्रेज भी कुछ कम नहीं है। पर इस सबके बाद भी रैली संख्या के लिहाज से 20 हजार के उस घोषित आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई जो कल रुड़की में प्रेस वार्ता के दौरान स्वामी यतीश्वरानंद ने घोषित किया था तो अब रैली के बाद करतार सिंह भड़ाना समेत तमाम भाजपा नेताओं को गहन मंथन करने की जरूरत है। यह तब और ज्यादा महत्वपूर्ण है कि रैली संयोजक रहे करतार सिंह भड़ाना को ऐसी रैलियों को अपने तरीके से सफल बनाने का एक्सपर्ट माना जाता है।
इस सीट की अति अहम जाट बिरादरी के लिहाज से करतार सिंह भड़ाना के जुड़ाव की पूर्ण समीक्षा तो फिर कभी होगी। लेकिन फिलहाल के लिए इतना ही कि जाट बिरादरी से आने वाली नवनियुक्त भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ.मधु सिंह व दर्जाधारी अजीत सिंह के खुद के समाज में असर का काउंट डाउन आज की रैली से शुरू हो गया है। क्योंकि हाल फिलहाल इन दोनों को अहम पद दिए जाने के बावजूद संख्या के लिहाज से जाट समाज उस हिसाब से रैली में शामिल नहीं हुआ,जैसी अपेक्षा की गई थी। महाराजा सूरजमल के नाम से इस जाट बाहुल्य क्षेत्र में स्टेडियम बनाए जाने की घोषणा स्वागत योग्य है,लेकिन फिलहाल ही दो अहम पद दिए जाने और कई बार जाट प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भी ऐसी घोषणा की जरूरत आखिर क्यों पड़ी। क्या करतार सिंह भड़ाना को पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने की प्रबल संभावनाओं के दृष्टिगत कुछ स्थानीय मजबूत जाट भाजपा नेता,जो सोशल मीडिया पर भड़ाना के बाहरी होने का शोर मचा रहे हैं,उनके भविष्यगामी विरोधी असर को पार्टी नेतृत्व भांप गया है? खैर इन नेताओं के शोर का असर रैली पंडाल में भी आज देखने को मिला। फिर रैली के बाद स्थानीय विधायक काजी निजामुद्दीन का यह कथन कि स्टेडियम की घोषणा सिर्फ घोषणा है और लिब्बरहेड़ी आकर हरिद्वार जनपद के इस सबसे बड़े गांव की समस्या बने नहर पुल का जिक्र तक न होना,करेला नीम चढ़ा जैसे हालात पैदा कर रहा है। कुल मिलाकर इस पूरी स्थिति पर भाजपा व करतार सिंह भड़ाना के लिए एक गीत के ये दो बोल याद आ रहे हैं कि ए भाई जरा देख के चलो…।
