निश्चित रूप से मंगू सिंह वर्मा उत्तराखंड के पहले शहीद पुलिसकर्मी थे। उनके परिवार की कुछ स्थितियों के कारण उनके बड़े पुत्र को तमाम शैक्षिक योग्यताओं के बावजूद उत्तराखंड पुलिस विभाग में नौकरी नहीं मिल पाई(इसके कारण कुछ अलग भी हैं)। लेकिन दुर्भाग्य ये है कि जब 21 दिसंबर 2000 को मंगू सिंह वर्मा की शहादत हुई तो उससे पहले ही उत्तराखंड अस्तित्व में आ चुका था। इस लिहाज से उन्हें उत्तराखंड राज्य का पहला शहीद कहने में कोई गुरेज नहीं। इस समय श्री हरि शंकर शुक्ला हरिद्वार के एसएसपी थे(एसएसपी लिखा लेकिन एसएसपी की पोस्ट तब तक हरिद्वार के लिए नहीं आई थी)इन दिनों हरिद्वार जनपद में कोई एसपी शहर या एसपी देहात का भी कोई पद नहीं था। बस एक थे सुनील चंद्र वाजपेई,अपर पुलिस अधीक्षक (जिनकी भी लगभग एक सप्ताह पूर्व दुखद मृत्यु हो चुकी है।)
खैर यहां और बातों का जिक्र समय मिलते ही,कैसे एक तत्कालीन पुलिस अफसर ने 21 दिसंबर 2000 मुठभेड़ से पहले बदमाशों को सूचनाओं का प्रदान किया। वो अगले भाग में….
वैसे कल आना जरूर क्योंकि राज्य के पहले शहीद पुलिसकर्मी श्री मंगू सिंह वर्मा की प्रतिमा स्थापित हो रही है।🙏
